जल संसाधनों का आर्थिक मूल्यांकन: उपयोग और स्थिरता में संतुलन
पूजा कुमारी
जल संसाधन किसी भी देश की आर्थिक प्रगति और सामाजिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण आधार हैं। बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण, और औद्योगीकरण के कारण जल की मांग निरंतर बढ़ रही है, जिससे इसके कुशल प्रबंधन की आवश्यकता और भी अधिक हो गई है। जल संसाधनों का आर्थिक मूल्यांकन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से जल के विभिन्न उपयोगों का मौद्रिक मूल्य निर्धारित किया जाता है। इससे नीति निर्माताओं को यह समझने में सहायता मिलती है कि जल का किस क्षेत्र में किस प्रकार से उपयोग किया जाना चाहिए ताकि इसकी बर्बादी रोकी जा सके और सतत विकास सुनिश्चित किया जा सके। इस मूल्यांकन के माध्यम से न केवल जल की आपूर्ति और मांग के बीच संतुलन स्थापित किया जा सकता है, बल्कि यह भी तय किया जा सकता है कि जल उपयोगकर्ताओं से किस प्रकार शुल्क लिया जाए ताकि वे इसके संरक्षण के प्रति उत्तरदायी बनें। इसके अतिरिक्त, यह कृषि, उद्योग और घरेलू उपयोग जैसे विभिन्न क्षेत्रों में जल के न्यायसंगत वितरण की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जल संसाधनों की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक है कि आर्थिक दृष्टिकोण से इसके मूल्य को पहचाना जाए और नीति निर्माण में शामिल किया जाए। इस प्रकार, आर्थिक मूल्यांकन केवल आर्थिक लाभ का नहीं, बल्कि पर्यावरणीय और सामाजिक संतुलन का भी माध्यम बनता है।
पूजा कुमारी. जल संसाधनों का आर्थिक मूल्यांकन: उपयोग और स्थिरता में संतुलन. Int J Finance Manage Econ 2025;8(1):399-403. DOI: 10.33545/26179210.2025.v8.i1.519