आंगनबाड़ी केंद्रों का महिला सशक्तिकरण में योगदान: बिहार के भागलपुर का विश्लेषण
नीतिका कुमारी
आंगनबाड़ी केंद्रों का महिला सशक्तिकरण में योगदान, विशेष रूप से बिहार के भागलपुर जिले में, एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक और विकासात्मक प्रक्रिया है। 1975 में समेकित बाल विकास सेवा (ICDS) के तहत शुरू की गई आंगनबाड़ी योजना का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और छोटे बच्चों को स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा की सुविधाएँ प्रदान करना है। यह योजना न केवल महिलाओं और बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है, बल्कि यह महिलाओं के सशक्तिकरण में भी अहम भूमिका निभा रही है। भागलपुर जिले के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आंगनबाड़ी केंद्र महिलाओं के स्वास्थ्य, पोषण और सामाजिक जागरूकता के स्तर को सुधारने में सहायक साबित हुए हैं। इन केंद्रों के माध्यम से महिलाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं, जिससे वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनती हैं। साथ ही, केंद्र महिलाओं को स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा के प्रति जागरूक करते हैं, जिससे वे अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य और कल्याण के बारे में बेहतर निर्णय ले सकती हैं।हालाँकि, भागलपुर में आंगनबाड़ी केंद्रों के समक्ष कई चुनौतियाँ भी हैं, जैसे कि संसाधनों की कमी और सामाजिक बाधाएँ। इसके बावजूद, आंगनबाड़ी केंद्र महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक प्रभावी माध्यम साबित हो रहे हैं। इन केंद्रों के माध्यम से महिलाएँ न केवल आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त हो रही हैं, बल्कि मानसिक रूप से भी अपनी पहचान बना रही हैं।
नीतिका कुमारी. आंगनबाड़ी केंद्रों का महिला सशक्तिकरण में योगदान: बिहार के भागलपुर का विश्लेषण. Int J Finance Manage Econ 2024;7(2):425-430. DOI: 10.33545/26179210.2024.v7.i2.393