प्राथमिक शिक्षा में सर्व शिक्षा अभियान का छात्र पर प्रभाव
पूजा कुमारी
सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) भारत सरकार की अग्रणी पहले मे से एक है, जो भारतीय संिवधान द्वारा निर्दिष्ट समय-बद्ध-केंद्रित तरीके से प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण (जिसे यूईई भी कहा जाता है) को पुरा करने के लिए है। संिवधान में 86वें सश्ंाोधन के साथ भारत में शिक्षा का अधिकार एक मौलिक मानव अधिकार बन गया। शिक्षा के अधिकार के तहत 6 से 14 वर्ष की आयु के युवा अनिवार्य और निःशुल्क शिक्षा के हकदार हैं। एसएसए पहल का नेतृत्व मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) द्वारा किया जाता है। वर्ष 2000 से 2001 तक एसएसए पहल प्रभावी रही। वर्ष 2009 में शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम लागू होने के साथ ही एसएसए पहल में संशोधन किए गए। एसएसए योजना को परूे देश में राज्य और स्थानीय सरकारों के सहयोग से सचंालित किया जाता है, ताकि 1.2 मिलियन घरों में 193 मिलियन बच्चों की जरूरतों को पूरा किया जा सके। सर्व शिक्षा अभियान और राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान को वर्ष 2018 में समग्र शिक्षा अभियान पहल में मिला दिया गया। 21वीं शताब्दी की वैश्विक अर्थव्यवस्था एसे वातावरण में उन्नति कर सकती है जो रचनात्मकता एवं काल्पनिकता, विवचे नात्मक सोच और समस्या के समाधान से संबंिधत कौशल पर आधारित हो। अनुभवमूलक विश्लेषण शिक्षा और आर्थिक उन्नति के मध्य सुद्रढ सकारात्मक सबध्ं होते हैं। भारत में स्कूल जाने वालों की आयु 6-18 वर्ष के मध्य की 30.5 करोड़ की (2011 की जनगणना के अनुसार) की विशाल जनसंख्या है, जो कुल जनसंख्या का 25ः से अधिक है। यदि बच्चों को वास्तविक दुनिया का आत्मविश्वास से सामना करने की शिक्षा दी जाए तो भारत में इस जनसांख्यिकीय हिस्से की सपंण सामर्थ्य का अपने लिये उपयोग करने की क्षमता है। सधारणीय विकास लक्ष्य 2030 को अंगीकार करने के बाद ध्यान माध्यमिक शिक्षा के स्तर तक ‘गुणवत्ता के साथ निष्पक्षता’ पर स्थानांतरित हो गया है।
पूजा कुमारी. प्राथमिक शिक्षा में सर्व शिक्षा अभियान का छात्र पर प्रभाव. Int J Finance Manage Econ 2024;7(2):234-236. DOI: 10.33545/26179210.2024.v7.i2.367