भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुपालन की भूमिका को देखते हुए, “ऑपरेशन फ्लड” के माध्यम से दुग्ध के उत्पादन को बढ़ाने की आवश्यकता पर काफी ध्यान दिया गया है। दुग्ध उद्योग अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। स्वतन्त्रता के बाद हरित क्रांति और श्वेत क्रांति दो प्रमुख क्रांतियाँ थी, जिनके कारण भारत की आर्थिक स्थिति में बड़े परिवर्तन आये। डेयरी उद्योग हरित क्रांति से निकली विस्तृत शाखाओं में से एक है। यह एक कृषि आधारित उद्योग है, जो दुनिया भर में तेजी से विस्तार कर रहा है। एक दशक पहले डेयरियों में केवल 5 प्रतिशत दूध ही आता था, जबकि आज यह 10 प्रतिशत है और यह लगातार बढ़ रहा है। दुग्ध और उसके उत्पाद पशुधन क्षेत्र के कुल उत्पादन के मूल्य का लगभग दो-तिहाई हिस्सा हैं। यह राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र में सबसे बड़ा योगदानकर्ता भी है। डेयरी क्षेत्र लगभग 68,000 करोड़ का राजस्व उत्पन्न कर रहा है, जो कि सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 5.1 प्रतिशत और कृषि सकल घरेलू उत्पाद का 30 प्रतिशत है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारत का अपना विशेष स्थान है और यह विश्व में सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक और दुग्ध उत्पादों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। संयोग से भारत विश्व में सबसे कम खर्च पर यानी 27 सेंट प्रति लीटर की दर से दूध का उत्पादन करता है । यदि वर्तमान रूझान जारी रहता है तो मिनरल वाटर उद्योग की तरह दुग्ध प्रोसेसिंग उद्योग में भी बहुत तेजी से विकास होने की पर्याप्त संभावनाएं हैं। अगले 10 वर्षों में तिगुनी वृद्धि के साथ भारत विश्व में दुग्ध उत्पादों को तैयार करने वाला अग्रणी देश बन जाएगा।